राज्य पुनर्गठन की कवायद ।

राज्य पुनर्गठन की कवायद ।
लुटियन्स  को छोडते हुए,,
 दिल्ली पूर्ण राज्य !
शेष दिल्ली के साथ
हरियाणा से -- सोनीपत ,रोहतक ,झज्जर, गुरूग्राम , रिवाडी ,नूह (मेवात), पलवल और फरीदाबाद ,
 यूपी से  मेरठ मंडल के  जनपद बागपत , गाजियाबाद , नौएडा  ,हापुड , बुलंदशहर और मेरठ 
हो सकते हैं  दिल्ली प्रदेश में  शामिल।
सहारनपुर मंडल के  सभी तीनों  जनपद हो सकते हैं  हरियाणा में  शामिल।
मुरादाबाद मंडल हो सकता है उत्तरा खंड में   शामिल।
अगली कवायद में दो  नए राज्य गठित होंगे जिसमें 
पूर्वांचल 
(गोरखपुर , संभावित राजधानी )
गोरखपुर मंडलगोरखपुर  से
देवरिया , गोरखपुर , कुशीनगर और महाराजगंज
आजमगढ़ मंडल आजमगढ  से
आजमगढ़ , बलिया  और मऊ
बस्ती मंडलबस्ती  से
बस्ती , संत कबीर नगर और सिद्धार्थनगर
देवीपाटन मंडल गोंडा से
बहराइच , बलरामपुर , गोंडा और श्रावस्ती
अयोध्या संभाग  अयोध्या से 
अम्बेडकर नगर, अयोध्या , सुल्तानपुर ,अमेठी और बाराबंकी  
वाराणसी मंडल वाराणसी से
चंदौली ,गाजीपुर , जौनपुर और वाराणसी सहित कुल 23 जनपद का नया   राज्य होगा गोरख  प्रांत  ।


दूसरा नवगठित राज्य  बुन्देल खण्ड
(सम्भावित राजधानी  प्रयागराज )
प्रयागराज संभाग प्रयागराज से
प्रयागराज , फतेहपुर , कौशाम्बी और प्रतापगढ़
चित्रकूट संभाग चित्रकूट से
बांदा , चित्रकूट , हमीरपुर और महोबा
झांसी संभाग झांसी से
जालौन , झांसी और ललितपुर
मिर्जापुर संभाग मिर्जापुर से
मिर्जापुर , संत रविदास नगर और सोनभद्र
कानपुर मंडल के  जनपद
कानपुर  , कानपुर देहात तथा औरैया को  मिलाकर कुल 17 जनपदों  का हो सकता है बुन्देला प्रदेश।


शोष भाग पूर्ववत राजधानी लखनऊ के साथ नाम उत्तर प्रदेश ही बना रहेगा। 
इसमें लखनऊ मंडललखनऊ से
हरदोई , लखीमपुर खीरी , लखनऊ , रायबरेली , सीतापुर   और  उन्नाव
आगरा मंडलआगरा से
आगरा ,  फिरोजाबाद , मैनपुरी और मथुरा
अलीगढ़ मंडल अलीगढ़ से
अलीगढ़  , एटा , हाथरस  और कासगंज
बरेली मंडल बरेली से 
बदायू , बरेली , पीलीभीत और शाहजहांपुर
तथा कानपुर संभाग से शेष जनपद 
फर्रूखाबाद व कन्नौज को भी इसी में  मिलाकर कुल बीस जनपदों  का राज्य रह जाएगा  उत्तर  प्रदेश ।
भाजपा की इस सारी कवायद में  सबसे महत्वपूर्ण बात यह होने वाली है कि पुनर्गठन की इतनी बडी कार्यवाही में  सरकार के प्रति विरोध या जनाक्रोश की रंचमात्र भी कहीं  सम्भावना नही है। उल्टे एक ही दाॅव में  विपक्ष की सारी राजनैतिक जमीन  भी बिस्मार होती दिख रही है।
खास तौर से हरियाणा , दिल्ली और उत्तर प्रदेश की दशकों  पुरानी राजनीति की स्लेट पर तो  इससे एक बार मे ही पोंछा लगता  दिख रहा है.